आखिर कौन हो तुम??

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मेरे पास शब्द  नहीं है कुछ जताने को,

     तुम मेरे कौन हो ये तुम्हें समझाने को |

जिसे मैं खुली आँखों से देखती हुँ,

    वो हसीन  खबाव हो तुम |

या जिसका जबाव मैं सपनों मे भी धूधंती हुँ,

   वो जटिल सवाल हो तुम |

मेरी हर दुआँ , मेरा हर  ‘काश ‘ हो तुम |

   तुमसे ही दुरियाँ सब, फिर भी आस-पास हो तुम |

कभी मेरे अपनो से भी ज्यादा अपने,

   तो कभी बिलकुल अजनबी हो तुम |

कभी मेरा सबकुछ तो  कभी कुछ भी नहीं हो तुम |

‌ एक पल  को मेरी आँखों का इंतिजार हो तुम,

  तो दूजे ही पल इंकार हो तुम |

जिसे पा के मैं अपनो से दूर हो जाउँ मेरी वो  हार  हो तुम,

  या जिसे भूल के मैं खुद को हीं खो दूँ मेरा वो प्यार हो तुम |

मेरे ख़ुदा की रहमत की निशानी हो तुम,

   या फिर मेरी अधूरी कहानी हो तुम |

   या फिर मेरी अधूरी कहानी हो तुम |

54 thoughts on “आखिर कौन हो तुम??

  1. “कभी मेरे अपनो से भी ज्यादा अपने,
    तो कभी बिलकुल अजनबी हो तुम |”
    …विचारों की कशमकश को लिखने का अच्छा प्रयास…👍

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  2. जिसे पा के मैं अपनो से दूर हो जाउँ मेरी वो  हार  हो तुम,
      या जिसे भूल के मैं खुद को हीं खो दूँ मेरा वो प्यार हो तुम |

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  3. कहने को सभी लाइन्स अच्छे है लेकिन ये कुछ ज्यादा
    जिसे पा के मैं अपनो से दूर हो जाउँ मेरी वो  हार  हो तुम,

      या जिसे भूल के मैं खुद को हीं खो दूँ मेरा वो प्यार हो तुम |

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    1. That’s the biggest compliment I have ever got Ajay. I believe if your writing has the power to leave an imprint on the reader’s mind then only you are a good writer. So, your words literally made my day. Thank you so much. 😊

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  4. Loved it!! Specially these lines…
    “या जिसका जबाव मैं सपनों मे भी धूधंती हुँ,
    वो जटिल सवाल हो तुम |” touched me deeply!!
    Hope you get whatever you wish for ☺️

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